Namokar Mantra (णमोकार मन्त्र)
Namokar Mantra (णमोकार मन्त्र) Meaning
णमो अरहंताणं,
णमो सिद्धाणं णमो आइरियाणं।
णमो उवज्झायाणं,
णमो लोए सव्व साहूणं।।
एसो पंचणमोयारो सव्वपावप्पणासणो।
मंगलाणं च सव्वेसिं पढ़मं हवई मंगलम्।।
- भाषा : प्राकृत
- रचनाकार : आचार्य पुष्पदंत और भूतबलि
- ग्रंथ का नाम : षट्खण्डागम
- किस रूप मे रचना हुई : मंगलाचरण
- कब लिखा : ईशा की पहली शताब्दी में (2000 वर्ष पहले)
- कौन से छंद मे लिखा गया है : गाथा छंद
- गाथा छंद मे चार चरण और नमस्कार पंच परमेष्ठियों को
- भाव की अपेक्षा से णमोकार मंत्र अनादि अनंत
- शब्दों की अपेक्षा से सदा काल नहीं रहेगा (छठे काल में प्रलय)
- 5 पद, 35 अक्षर और 58 मात्राएं
- लोक में सब अरहंतों को नमस्कार हो, सब सिद्धों को नमस्कार हो, सब आचार्यों को नमस्कार हो,सब उपाध्यायों को नमस्कार हो और सर्व साधुओं को नमस्कार हो।
- यह पंच नमस्कार मंत्र सब पापों का नाश करने वाला है तथा सब मंगलों में पहला मंगल है।
- यह मंत्र मोह-राग-द्वेषका अभाव करने वाला और सम्यग्ज्ञान प्राप्त कराने वाला है।
- अरहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय और साधु ये पाँचों परमेष्ठी कहलाते है। जो जीव इन पाँचों परमेष्ठीयों को पहिचान कर उनके बताये हुए मार्ग पर चलता है उसे सच्चा सुख प्राप्त होता है।
एक दिन ऐसा विकल्प आया भगवान महावीर स्वामी के निर्वाण (मोक्ष) जाने के 681 वर्ष के पश्चात – धरसेन आचार्य (शास्त्र लिखने की जिम्मेदारी जो आज तक कभी नहीं लिखे गए थे ) – नरवाहन और सुबुद्धि मुनिराज को मंत्र साधना करने की आज्ञा दी – भविष्य के पुष्पदंत और भूतबलि मुनिराज – पुष्पदंत मुनिराज ने ग्रंथ लिखना प्रारंभ किया – सबसे पहले लिखा गया णमोकार महामंत्र ।