GINGIVITIS BLEEDING GUMS

मसूड़ों की बीमारी क्या है ?? (पायरिया या पेरियोडॉन्टल बीमारी)

मसूड़े क्यों फूल जाते है??

पायरिया रोग का कारण..??? मसूड़े क्यों फूल जाते है?? Masudo me infection ??

जरा सोचिये, जब आपके हाथ मे एक कट हो जाये. उस कटे हुए स्थान पर जब कीटाणु प्रवेश करते है तो हमारा शरीर स्वतः ही एक रक्षात्मक प्रतिक्रिया से हमारे शरीर की रक्षा करता है. इस प्रकिया को प्रति रक्षा तंत्र कहते है. यह कटा हुआ स्थान बाद मे लाल, सुजा हुआ एवं गर्म हो जाता है. इसी प्रकार से हमारा शरीर उस कटे हुए घाव मे कीटाणु के प्रवेश होने से लड़ता है. यह हमारे शरीर का प्राकृतिक रक्षा तंत्र है जो स्वतः ही और हमेशा होता है. क्या यह प्रक्रिया हमारे शरीर मे बहुत सालो से चल रही है और क्या यह प्रकिया आगे भी निरंतर चलती रहेगी, हम इसे पहचान नहीं सकते जब यह होती है, यह स्वतः ही होती है और हमारे शरीर की कीटाणुओ से रक्षा करती है I

आपके मसूड़े दांतो को घेर के रखते है और इन मसूड़ों के चारो तरफ ब्रश करने के बाद यदि प्लाक (पीला चिपचिपा )या कैलकुलस /टार्टर (कीटाणु बाहुल्य )बचा रह जाता है जिससे हमारा शरीर हमेशा की तरह इन कीटाणुओ को पहचान कर इन कीटाणुओ से हमारे शरीर की रक्षा करता है.

ये कीटाणु दांतो के चारो तरफ इकठ्ठा होने लगते है जिनको ब्रश करके निकालना आवश्यक हो जाता है. इसी तरह कैलकुलस /टार्टर को दन्त चिकित्सक के द्वारा सफाई करके निकाला जाता है.

जब कभी शरीर मे समस्या आती है, तो हमारा प्रतिरोधी तंत्र इस प्लाक /टार्टर को निकाल नहीं पाता तो यह किसी तरीके से लड़ता रहता हैँ. तो हमारे मसूड़े बहुत लाल, सूजे हुए एवं कई बार मसूड़ों से खून एवं दर्द होने लगता हैँ. मसूड़ों मे सूजन के साथ दांतो एवं मसूड़ों के बीच एक पॉकेट (कीटाणुओ का घर )बनने लगता है, जिससे कीटाणुओ को और वृद्धि करने के लिये जगह बनने लगती है, जिससे शरीर मे ताकतवर प्रतिरोधी क्रियाएं होती हैँ, जिससे पॉकेट और बड़ा होने लगता हैँ, और कीटाणुओ को और जगह मिलने लगती हैँ. जिससे हमारे शरीर मे तब तक प्रतिरक्षा क्रियाएं चलती रहती हैँ जब तक यह प्लाक /टार्टर पूरी तरह निकल न जाये या इसके विरुद्ध जीत न जाये. हमारा शरीर लगातार इस संक्रमण एवं कीटाणुओं से लडता रहता हैँ, जिससे लगातार मसूड़ों के चारो तरफ की आवरित हड्डियों का नुकसान होता रहता है और मसूड़ों से सम्बंधित बीमारिया होती हैँ जिसे मूलतः पायरिया कहते हैँ.

जब हमें इस संक्रमण के स्रोत (कीटाणु )को हटाने की जरूरत होती है तो यह मसूड़ों का प्रदाह (गर्म, सूजन )खत्म होने लगता है. इसे हम नियमित ब्रशिंग एवं नियमित दन्त चिकित्सा परामर्श से दूर कर सकते है, जिससे कीटाणुओं का संक्रमण कम होने लगता है. हमारा शरीर खुद कहता है की यदि कीटाणु का बहुत ज्यादा संक्रमण कही नहीं है तो मुझे भी लड़ने की जरूरत नहीं है. जिससे मसूड़े कम सूजे हुए, रक्त रहित एवं कम लाल दीखते है.

इस प्लाक एवं टार्टर से हमारा शरीर लगातार लड़ते रहता है, इससे नियमित ब्रशिंग, दन्त चिकित्सा परामर्श से बचा जा सकता है

Prestige Dental Care के Dr Somit Jain बताते है की पायरिया का सामान्य अर्थ है “दांत के चारों ओर सूजन” का होना है, दाँत की सतह के आसपास सूक्ष्मजीव, जैसे बैक्‍टीरिया (Bacteria) मौजूद रहते हैं, और यही बैक्‍टीरिया पायरिया रोग का कारण बनते है। जिससे व्यक्तियों के मुंह में दुर्गन्ध (Halitosis) आना बढ़ जाती है, पायरिया के बैक्‍टीरिया दांतों के आस-पास मसूड़ों के ऊतकों (Gum tissues) को प्रभावित कर सूजन वाली स्थिति पैदा करता है, जिससे मसूड़े लाल हो जाते हैं, और कभी-कभी उनसे खून भी आ सकता हैं (Red & Swollen Gums)

पेरियोडोंटाइटिस (Periodontitis), मसूड़ों का एक सामान्य संक्रमण रोग, है जो दांतों के मुलायम ऊतक (मसूड़ों) और हड्डी को नुकसान पहुंचाता है। यदि इसका उपचार समय पर ना किया जाये तो, दांतों के चारों ओर की हड्डी धीरे-धीरे नष्ट हो जाती है।

पायरिया के प्रकार – Types of Periodontitis (Pyorrhea) in Hindi

  • मसूड़ों की बीमारी की पहली अवस्था को जिंजिवाइटिस (Gingivitis) कहते हैं .
  • जिंजिवाइटिस को पहचानना जरूरी है क्योंकि जिंजिवाइटिस ठीक किया जा सकता है (Reversible).
  • प्लाक (Plaque) में प्रस्तुत जीवाणु जीव-विष (Toxins) उत्पन्न करते हैं जिससे मसूड़ों में उत्तेजन (Inflammation) , और तत्पश्चात लाली (Redness) , सूजन (swelling) और रक्तस्राव (Bleeding gums) होने लगता है.
  • अगर इसे पहचाना न जाए , या इस पर ध्यान न दिया जाए , तो जिंजिवाइटिस की बीमारी पेरियोडॉन्टाइटिस (Periodontitis) or पायरिया यानि मसूड़ों की और विकसित बीमारी में परिवर्तित हो सकती है.

पायरिया (Periodontitis) के कई अलग-अलग प्रकार हैं। जिनमें से कुछ सामान्य प्रकार इस तरह के हैं।

1. क्रोनिक पेरियोडॉन्टाइटिस (Chronic periodontitis):

यह पायरिया का सबसे सामान्य प्रकार है, जो ज्यादातर वयस्कों को प्रभावित करता है, इससे बच्चों के प्रभावित होने की सम्भावना कम होती है। समय पर इलाज नहीं होने पर मसूड़ों, हड्डियों और दांतों को अत्यधिक नुकसान होता है।

2. अग्रेसिव पेरियोडॉन्टाइटिस (Aggressive periodontitis): यह आमतौर पर बच्चों या नव युवाओं में शुरू होता है। यह कम लोगों को प्रभावित करता है। इसका इलाज न होने पर हड्डी और दाँत को बहुत तीव्र गति से नुकसान पहुंचता है। यह पायरिया जेनेटिक होता है।

3. नेक्रोटाइज़िंग पेरियोडोंटाइटिस (Necrotizing Periodontitis) :

यह एक गंभीर संक्रमण है जो कि मसूड़ों के ऊतक, दाँत के अस्थि बंधन और सहायक हड्डी को रक्त की आपूर्ति (नेक्रोसिस) में कमी के कारण होता है, यह आम तौर पर उन लोगों में होता है जो एचआईवी संक्रमण, कैंसर उपचार या अन्य कारणों से – कुपोषण के शिकार होते है।

GINGIVITIS BLEEDING GUMS
DENTAL PLAQUE CAUSES BLEEDING GUMS
PERIODONTITIS SYMPTOMS

मसूड़े क्यों फूल जाते है ? [ पायरिया रोग का कारण, इलाज ? ]

INTERDENTAL GINGIVAL COL

7 unsolved mystery box of : “The Interdental Space”

7 unsolved mystery box of “The Interdental Space!”

  • Interdental space is one of the most common site for the dental pathology may it be caries or any periodontal lesions.
  • Any imperfections in the interdental area (tooth or periodontium related) may lead to the accumulation and retention of biofilm causing dental lesions.
  • Hence it is necessary to have the basic understanding of anatomy and histopathologic make-up of this area labio-lingually, mesio-distally and occluso-cervically for periodontal & restorative considerations.

Interdental area is composed of

1. Proximal contact area

2. Interproximal spaces (formed by proximal surface in contact)

3. Embrasures (spillways)

4. Interdental gingiva (Buccal and lingual interproximal papilla plus Interpapillary Saddle or COL)

INTERDENTAL COL (Interpapillary Saddle)

  • Interdental gingiva is the normal gingiva which fills up the concave interdental space between two adjacent teeth and takes the form of a variable depression bounded buccally and lingually by the interdental papillae.
  • Until 1959, there was a general agreement that the interdental gingiva as it extends in the buccolingual direction is convex and cone or pyramidal shaped with one peak. These tissues were believed to perform the role as deflection of food debris from the interproximal area.
  • Cohen in 1959 initially described the morphology of the interdental tissue in his study of human and monkey material. Interdental gingiva when viewed buccolingually is a concave structure which consists of buccal and a lingual peak (2 peaks) and between the peaks is a depression similar to the shape of a mountain COL except when there is a diastema.
  • Interdental COL area is frequently damaged during and after the perio-restorative procedures due to two basic reasons:
    1. COL’s morphologic concavity (difficulty in oral hygiene maintenance)
    2. Histologically thin and Non-keratinized epithelium (readily shows periodontal inflammation due to plaque accumulation)
  • The labiolingual dimensions and vertical depth of the Interdental COL depends on the form and size of adjacent teeth and the extent of the contact area.
  • Average labiolingual width of the col from canine to molar region i.e. the distance between the labial and lingual papillary peaks increases from 2.5 to 6.2 mm in the maxilla and from 2.5 to 4.5 mm in the mandible (Pilot et al 1972).
INTERDENTAL GINGIVAL COL

EMBRASURE (SPILLWAY SPACES)

What is an embrasure?

An embrasure is a V shaped open space adjacent to the contact area formed by the contour of proximal surfaces of two adjacent teeth (same arch) when viewed bucco-lingually and occluso-gingivally. (Dr.Somit Jain & Dr.Abhishek Hirwani)

EMBRASURE SPILLWAY SPACES

Principal Fibre Bundles of Periodontal Ligament

PERIODONTAL LIGAMENT FIBRES